चांद क रोशनी देखबाक लेल, अहां कि करैत छी. चांद क दूधिया रोशनी लेल मन में उठैत अछि सवाल
ताहि कारण सं पूछे छी,
चांद क रोशनी देखबाक लेल, अहां कि करैत छी।
शहर क आपाधापी में सांझ क सांझ बुझे में दिक्कत होइत अछि
भेपर लाइट क चांद सं टकरैत देखे छिए त
गाम मन पड़ि जाएत अछि।
ओत सांझ क सांझ बुझैत छिए
तारा और चांद सं आसमान क रोशनी
बरामदा क आगू जखैन पड़ैत छै
मन तृपित भ जाएत अछि।
मुदा, आइ सांझ में तारा-चांद क रोशनी क बीच
इ भेपर लाइट हमरा तंग क रहल अछि।
ताहि कारण सं पूछे छि
चांद क रोशनी देखबाक लेल, अहां कि करैत छी.....।
1 comment:
आजुक तेज रफ्तारक जिनगी में लोक के फुर्सत कहाँ छैक जे चाँद आ तारा के देखत आ ओकर आनंद लेत. अहांक रचना निक लागल . शुभकामना !!
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