Monday, December 21, 2009

चांद क रोशनी देखबाक लेल, अहां कि करैत छी....

चांद क रोशनी देखबाक लेल, अहां कि करैत छी. चांद क दूधिया रोशनी लेल मन में उठैत अछि सवाल
ताहि कारण सं पूछे छी,
चांद क रोशनी देखबाक लेल, अहां कि करैत छी।

शहर क आपाधापी में सांझ क सांझ बुझे में दिक्कत होइत अछि
भेपर लाइट क चांद सं टकरैत देखे छिए त
गाम मन पड़ि जाएत अछि।

ओत सांझ क सांझ बुझैत छिए
तारा और चांद सं आसमान क रोशनी
बरामदा क आगू जखैन पड़ैत छै
मन तृपित भ जाएत अछि।

मुदा, आइ सांझ में तारा-चांद क रोशनी क बीच
इ भेपर लाइट हमरा तंग क रहल अछि।

ताहि कारण सं पूछे छि
चांद क रोशनी देखबाक लेल, अहां कि करैत छी.....।

1 comment:

Kusum Thakur said...

आजुक तेज रफ्तारक जिनगी में लोक के फुर्सत कहाँ छैक जे चाँद आ तारा के देखत आ ओकर आनंद लेत. अहांक रचना निक लागल . शुभकामना !!