Friday, June 15, 2007

दुमका में झुमका हैरोलनि काशी में कनबाली


एकटा प्रेयस के मन में अपन प्रेयसीक लेल प्रेमक जे तरंगित रंग सम्मुख अबैछ, बिल्कुल अपूर्व रुप में दृष्टिगोचर अछि। ओ यथावत् छथिन्ह वा सही में किछु हरौलन्हि ई त हुनके पता छन्हि मुदा एहि ठाम लगैत अछि जे सभ के अपन नयन-कमान सँ घायल करय वाली आओर दोसर के मन हरब' वाली के अपने की की नहि हरा गेलन्हि- झुमका, कनबाली,.....एत तक कि ठोरक लाली सेहो......हद त तब भेल जे प्रणय-रंग सँ रंगल हुनकर ओढ़नी प हम की, कौओ मिट गेल आ ल' क' भागि गेल दरभंगा टावर प.........आह अति मधुरगर एहि गीत के पढ़ला पर बुझाइत अछि जे शृंगार रसक शिरोमणि विद्यापतिक भूमि पर एखनों प्रणय रस सँ सराबोर फुहारक सदिखन बरसैत रहैत अछि।



दुमका में झुमका हैरोलनि काशी में कनबाली
हम पुछलियनि के चुरौलक अहांक ठोरक लाली
हुनकर नथिया बरामद भेल हमरा रंगीला जिला बलिया में-2
मुंह हुनक पूर्णिमाक चंदा - 2
कोन मनुक्ख सं परलनि फंदा
जौ कियो केलखिन हुनकर निंदा -2
तिनका ओ केलखिन शर्मिन्दा
नैन हुनक दुइधारी खंजर
यवनक भार अपार
पटना सन शहर में हरौलनि ओ नौलखा हार
हुनकर बाली बरामद भेल कि हमरा कि मुशरी घरारी में..............
दुमका में झुमका हैरोलनि काशी में कनबाली
हम पुछलियनि के चुरौलक अहांक ठोरक लाली
हुनकर नथिया बरामद भेल हमरा रंगीला जिला बलिया में-2..................

रोज लिपिस्टिक चाहबे करियनि-2
रुबिया वायल पहिनबे करथिन्ह
चाहे लोक जतेक घायल हो-2
ओ नहि अप्पन चाल बदलती
पान दबौने गाल में हरदम
चप्पल हिल छैन चारि-2
जे कियो हुनका किछु कहती ओ मारती नैनक वाण
हुनकर ओढनि लय भागि गेल कौवा शहर दरभंगा में........
दुमका में झुमका हैरोलनि काशी में कनबाली
हम पुछलियनि के चुरौलक अहांक ठोरक लाली
हुनकर नथिया बरामद भेल हमरा रंगीला जिला बलिया में-2............

4 comments:

विनीत उत्पल said...

अहों आपन टोलक लोग छी, बात हैत रहतै.मुदा मैथिली एखन सीख रहल छी.

Kumar Padmanabh said...

महानुभाव हमहुँ अहीँ के टोल’क लोक छी. मैथिली मे लिखबाक लेल कोटि कोटि धन्यवाद. हम अपने सँ आग्रह करब जे मैथिली ब्लोग’क लेखक दल मे शामिल भ‘ जाऊ. हम सब किछु १० गोटा मिलि केँ नियमित ब्लोग लिखैत छी. हमर सभक उद्देश्य जे मैथिली भाषा’क प्रचार प्रसार इन्टरनेटो पर खुब होमय. हमर सभ’क काज देखबाक लेल एहि पता पर एतय क्लिक करु

Anonymous said...

धन्यवाद गिरीन्द्रजी,
अहांक ई झुमकाक ठुमका हमरा एतय तक घायल क देलक....की बात छै यौ...हुनकर ओढ़नी के चिन्ता में आब परेशान छियै....खैर ठीक छै अहांक उम्र आओर ई मौसम....बहुत खूब सरकार।

Gajendra said...

बड्ड नीक गिरीन्द्रजी।


काल्हि हम सभ माछ भात बनेने बाट तकिते रहि गेलहुँ। आइ पण्डितजी चलि गेलाह।