बहुत दिनक बाद टोला पर गप्प करे ल आएल छी, मुदा विद्यापति का संग ल के ......
कि कहब हे सखि रातुक .......बात । आनंद लेल जाए ।
गिरीन्द्र .
कि कहब हे सखि रातुक बात।
मानक पइल कुबानिक हाथ।।
काच कंचन नहि जानय मूल।
गुंजा रतन करय समतूल।।
जे किछु कभु नहि कला रस जान।
नीर खीर दुहु करय समान।।
तन्हि सएँ कइसन पिरिति रसाल।
बानर-कंठ कि सोतिय माल।।
भनइ विद्यापति एह रस जान।
बानर-मुह कि सोभय पान।।
2 comments:
मोहल्ला, कस्बा क बाद आहाँ टोला बना लेलौँ यौ...
नीक लागल आहँक टोल म आक
bar nik
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